अगर आप लाखो रुपयों की कमाई कर ना चाह ते हो तो kattha industry in india ये जान कारी सबसे बहेतर है इस में कत्था उद्योग की पूरी इन्फोर्मेशनी मिलेगी आप पूरा पढ़ ले
दोस्तों इस बिजनेस को आसानी से शुरु करने के लिये यह जानकारी आपको मिलेगी तो आप एकबार आराम से पूरा पढ़ले
- इस बिजनेस में सभी प्रकार की जानकारी का वीडियो
- मशीन की कीमत
- रो मटेरियल यानि के कच्चा माल
- मशीन की सर्विस और मेंटेनस
- प्रोडक्ट को बनाने मे कुल कितने रुपयों का खर्च होता है
- इस बिजनेस में कितने रुपयों की कमाई कर सकते है
- प्रोडक्ट बनजाय [ तैयार ] होजाय तब कहा बेच सकते हो
- मशीन को खरीद ने के लिए मोबाईल कोन्टेक नंबर मिलेगा
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का वीडियो
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दोस्त आपसे एक बिनती हे की इस चैनल को सब्स्क्राइब करे ताकि कोई भी बिज़नेस की जानकारी आपको इसी तरह मिलती रहे
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कत्था उद्योग
भारतीय आयुर्वेदिक उपचार पद्धति में कत्थे का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता हैं।
आदत से पान खानेवाला बहुत बडा रसीक ग्राहक भारत में हैं।
पान खाते वक्त पान का रंग लाल होने के लिए खाने के पान में, सादे पान में, बनारसी, कलकत्ता पान में सुखे अथवागीले कत्था का उपयोग हजारों सालों से किया जाता हैं।
मेंहदी उद्योग में कत्थे का उपयोग करते हैं।
मेहदी की पेस्ट तैयार करते वक्त कत्था पावडर और निंबु मेहंदी के मिश्रण में डालने से मेहंदी का रंग एकदम लाल होता हैं।
आयुर्वेदिक उपचार पद्धति में जंतूनाशक के रूप में कत्थे का उपयोग होता हैं।
वैसे ही त्वचा के विकारों पर, खून का स्त्राव रोकने के लिए कत्थे का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता हैं।
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- कर्नाटक,
- बिहार,
- आंध्रप्रदेश,
- मध्यप्रदेश,
- ओरिसा,
- पंजाब,
- बंगाल,
- गुजरात,
महाराष्ट्र इन राज्यों में कत्था निर्मिती उद्योग एक महत्त्वपूर्ण चलनी उद्योग के रूप में किया जाता हैं।
प्रमुखत:
खैर के पेडों से कत्था बनाया जाता हैं।
खैर वृक्षों से बनाया हुआ कत्था ऊँचे दर्जे का माना जाता हैं।
खैरों के वृक्षों के साथ ही आँवला और पोपली के वृक्षों से भी कत्था बनाया जाता हैं।
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परंतु वह खैर के वृक्षों से बनायें हुए कत्थे जैसे उँजे दर्जे का नहीं होता।
खैर के वृक्ष के आडे-तिडे बहुतसी टहनियाँ होनसे अधिक कत्था मिलता हैं।
लकडी से निकाला हआ अर्क (रस) सूखाया जाता हैं।
की लकड़ी लेकर उसके छोट-छोटे टुकडे किए जाते हैं।
यह टुकडे मिट्टी के बर्तन में चार से पाँच घंटे पकाये जाते है।
खैर के लकडी के टुकडे पकाने के बाद उससे जो अर्क (रस) निकलता है वह सुती कपडोसे छाना जाता हैं और कम-से-कम दो हफ्ते वह रस वैसे ही रखा जाता हैं।
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एक बार अर्क (रस) निकालने के बाद फिर से दो से तीन बार लकडी के रगडे पकाकर वही क्रिया की जाती हैं।
ऐसा सभी अर्क (रस) एकत्रित करके वह पसरट बर्तन में सूखाने के लिए रखा जाता हैं।
साधारणत:
गाढा होता हैं, तब आवश्यकता के अनुसार उसके छोटे बड़े काँप देकर टिकीयाँ तैयार की जाती हैं।
यह कत्था तैयार करने की पारंपारिक पद्धति हैं।
आधुनिक पद्धति से यंत्रों की मदद से कत्थे की निर्मिती की जाती हैं।
ऑटोक्लेव्ह पद्धति से स्वयंचलीत यंत्र के द्वारा कत्था तैयार किया जाता हैं।
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फॉरेस्ट रिसर्च इन्स्टीट्युट, डेहराडून इस संस्था से विकासित किए हुए तकनीक से खैर के वृक्षों से कत्था और कच्छा ये दोनों उत्पादने तैयार किए जाते हैं।
कत्थे का अधिकतर उपयोग यह आयुर्वेदिक दवाईयों के लिए किया जाता हैं।
तो कॅटेच्यु टॉनिक ॲसिड नाम का द्रव्य कच्छा में होने से कच्छा का उपयोग चर्मोउद्योग, कापड उद्योग, बटीक छपाई ऐसे उद्योगों के लिए किया जाता हैं।
इलायची, लोंग, केवडा, चंदन ऐसे पदार्थो के सुवासिक द्राव्यों का उपयोग करके सेंटेड कत्था भी बनाते हैं।
काला कत्था और सफेद कत्था ये कत्था के दो प्रकार है।
कम भांडवल में अच्छा नफा देनेवाला उद्योग होने से नवउद्योजकों ने प्रशिक्षण के अंत में कत्था निर्मिती उद्योग की शुरुवात करने से उन्हें अच्छा फायदा मिलता हैं।
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- गोरा कत्था,
- केवडा,
- चंदनी,
- मलई,
- पापडी,
- फूलरू कत्था,
- गल्ला कत्था,
जनकपुरी कत्था ऐसे कत्थों के प्रकार हैं।
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मार्केट:
औषध निर्माण कंपनियों को कत्था की सबसे बडी जरुरत होती हैं।
एक-दो कंपनियों से करार करके आपका उत्पादित किया हुआ सभी माल बेच सकते हैं।
उसके साथ ही किराना माल की दुकानें पान की टपरियाँ, देशी दवाईयों की दुकानें, टोबॅको सेंटर्स इन स्थानों पर कत्थों को अच्छी माँग होती हैं।
सप्ताह बाजारों में भी पानसुपारी (पानकसैली) के साथ कत्था बेचनेवाले बिक्रेते होते हैं।
उन्हें माल दे सकते हैं। उत्पादन की व्याप्ती बड़ी हो तो आयुर्वेदिक दवाइयाँ गोलियाँ, चुर्ण, मरहम, काढा बनानेवाले कंपनियों को कत्थे का माल बेचीए।
रॉमटेरियल:
खैर वृक्ष की छाल,
लकडी का कच्चा माल और उसके साथ ही पोफली-आँवला के वृक्ष यह मुख्य कच्चा माल हैं।
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मशीनरी:
- कटर मशिन,
- पैंकीग मशीन,
- टिकीयाँ कटींग करने का हँडमोल्डेड मशीन,
- इंधन और छोटे-बडे बर्तन यह साहित्य लगेगा।
नमस्कार दोस्तों आज हम शिकाकाई पाउडर बनानेका बिज़नेस के बारे में जाने गे और इस मेसे कितनी कमाई कर सकते है वो वो पढ़ ने को मिलेगा
के जवाब हमने इस में दिए है फिर भी हमसे कोई भी सवाल रह गया हो और
आप का कोईभी सवाल हो जो इस में नहीं मिला है तो आप हमे कॉमेंट करके पूछ सकते हो हम आप के सवाल का जवाब जरूर देंगे
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